राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर ने 21 से 23 जनवरी, 2025 तक अनुसूचित जाति उप-परियोजना के अंतर्गत "लीची के बागों में उत्तम कृषि क्रियाएं एवं प्रबंधन" विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में असम के विभिन्न जिलों सोनितपुर, श्रीभूमि, लखीमपुर, कामरूप, और जोरहाट से आए 25 किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को लीची उत्पादन की उन्नत तकनीकों से अवगत कराया गया.
जिसमें पौधों के पोषण प्रबंधन, रोग एवं कीट नियंत्रण, पुराने बागों का जीर्णोद्धार और गुणवत्ता सुधार की विधियों पर विशेष जोर दिया गया।
किसानों को लीची से तैयार प्रसंस्कृत उत्पादों जैसे लीची शहद, लीची स्क्वॉश, और रेडी टू सर्व (RTS) ड्रिंक्स के निर्माण, विपणन और उनसे संभावित आय अर्जित करने के तरीकों की भी जानकारी दी गई । समपान समारोह के दौरान किसानों को लीची के पौधे, ट्राइकोडर्मा, लीची शहद, लीची स्क्वॉश एवं प्रमाण पत्र वितरित किए गए । साथ ही, उन्हें संस्थान के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया गया, जहां उन्होंने लीची बाग प्रबंधन में उपयोग होने वाली नवीनतम तकनीकों का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
केंद्र के निदेशक, डॉ. बिकाश दास ने कहा, इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल बिहार बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी लीची की खेती को प्रोत्साहित करना है, जहां इसकी संभावनाएं मौजूद हैं। उन्नत तकनीकों के माध्यम से किसानों को उनकी उत्पादकता और लाभ में वृद्धि के लिए प्रेरित करना, साथ ही लीची प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से अतिरिक्त आय के स्रोतों से अवगत कराना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है। हमारा प्रयास है कि भारत लीची उत्पादन में वैश्विक स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करे।
समापन समारोह के अवसर पर केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अभय कुमार, वैज्ञानिक डॉ. प्रभात कुमार, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अंकित कुमार, डॉ. इपसीता साम्ल, वरिष्ठ तकनीकी सहायक श्रीमती उपज्ञा साह, प्रोजेक्ट असिस्टेंट श्री श्याम पंडित, श्री चमन कुमार एवं श्री धर्मदेव भारती उपस्थित थे।
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