भाकृअनुप-राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में मधुमक्खी पालन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
भाकृअनुप-राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर द्वारा आयोजित एवं राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन) नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित "मधुमक्खी पालन के वैज्ञानिक दृष्टिकोण " विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 27 जनवरी 2025 से 2 फरवरी, 2025 तक आयोजित किया
इस प्रशिक्षण में बिहार के विभिन्न जिलों—वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, भागलपुर, नालन्दा, सुपौल और रोहतास से 25 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। मुजफ्फरपुर से श्री नन्द किशोर प्रसाद, श्री विकास कुमार, श्री गोविन्द कुमार, श्री अभिनंदन कुमार, श्री मुरलीधर, श्री शशी कुमार, श्री दीपक कुमार, श्री सिद्धार्थ कुमार झा, श्री प्रमोद कुमार, श्री अंकित पटेल, श्री अभय कुमार, श्री अजय जी, वैशाली से श्री अमरजीत कुमार, श्री कुदंन कुमार, रोहतास से श्री विरेन्द्र कुमार सिंह] सुपौल से श्री पप्पु कुमार नालन्दा से श्री सुरजदेव भारती सुपौल से श्री रतनेश कुमार, पूर्वी चम्पारण से श्री हर्श रंजन बांका से श्री संजीव कुमार सुमन आदि लोगो ने भाग लिया ।
प्रशिक्षण के दौरान किसानों को मधुमक्खी पालन की आधुनिक तकनीकों, प्रबंधन विधियों और रोगों की रोकथाम पर विस्तृत जानकारी दी गई। विशेषज्ञों द्वारा मधुमक्खियों की नस्लों, उनके विकास चक्र, मधुमक्खी कॉलोनी प्रबंधन, पोषण, तथा शहद उत्पादन की तकनीकों पर वृस्तृत रूप से बताया गया। इसके अलावा, शहद विपणन और मूल्य संवर्धन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां भी साझा की गईं, जिससे किसानों को अपने उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने में सहायता मिले।
केन्द्र के निदेशक डॉ. बिकास दास ने बताया कि मधुमक्खी पालन को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में किसान अपनाकर अपनी आय दोगुनी कर सकते है एवं कृषि वानिकी और बागवानी के लिए यह बहुत ही उपयोगी है। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. इपसिता सामल ने बताया कि प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करना और गुणवत्तायुक्त शहद उत्पादन को बढ़ावा देना है। समपान समारोह के अवसर पर केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. सुनिल कुमार, डॉ. अंकित कुमार, डॉ. इपसीता साम्ल, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी श्री अशोक धाकड़, वरिष्ठ तकनीकी सहायक श्रीमती उपज्ञा साह, प्रोजेक्ट असिस्टेंट श्री श्याम पंडित, श्री सज्जन कुमार, श्री अंश राज एवं श्री धर्मदेव भारती उपस्थित थे।
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